शिबू सोरेन झारखंड को अलग राज्य बनाये जाने के लिए किए गये आंदोलन के अगुवा थे,लगातार शोषण अन्याय के विरुद्ध प्रतिरोधात्मक गतिविधियों में लगे रहते थे.तत्कालीन मीडिया द्वारा कई बार शिबू सोरेन की छवि किसी ख़ूँख़ार व्यक्ति जैसी बना दी जाती थी.वास्तविक ज़िंदगी में वे बहुत सरल हैं,बच्चों की तरह खिलखिलाते हैं और सब से नरम आवाज में मधुरता से बात करते हैं.वे किसी को कभी बुरा नहीं कहते बल्कि कभी किसी से जोर से बात करते नहीं सुना.बाल सुलभ मधुर आवाज़ में बात करते हैं.दूसरों के दुख से व्यथित होते हैं.उनके घर सवेरे से मदद मांगने वालों का ताँता लगा हुआ रहता है और वे यथासंभव लोगों की मदद करते रहते हैं.कोई बीमार है तो किसी की बेटी की शादी है तो,किसी को बीमारी की इलाज़ के लिए सहयोग चाहिए,तो किसी को बच्चों की किताबों के लिए पैसे की जरूरत है,या किसी को पढ़े लिखे बेरोजगार बेटा बेटी के रोज़गार की ज़रूरत.वे यथा संभव सभी की मदद करते हैं.कई लोगों को जानता हूँ जिनके बेटा बेटी को प्राइवेट कम्पनियों तक में सम्मानजनक काम दिलाया.इसके अलावा वे जब मुख्यमंत्री थे तो स्थानीय प्रशासन को तुरत संपर्क कर ऐसे व्यक्त...
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