कुछ लोग दिसोम गुरु के आंदोलन को राजनीतिक संघर्ष मात्र के रूप में देखते हैं.गुरु जी का आंदोलन बहु आयामी था.जमीन की लूट के विरुद्ध संघर्ष तो था ही,उसमें आदिवासी मूलवासियों के आर्थिक स्वावलंबन की भी बातें थी.शिक्षा,व्याप्त कुरीतियों के समाधान हेतु जागरूकता,हंडिया शराब नशापान के कारण हो रही बर्बादी,सब उनके अभियान का हिस्सा था.ज़ब भी उनके नेतृत्व में सरकार बनी उन्होंने आदिवासी मूलवासियों से संबंधित इन विषयों पर बहुत गंभीरता से काम किया,योजनाएं बनायी.समस्या की जानकारी के साथ उनके पास इनके समाधान का विज़न भी था,परवर्ती सरकारें आदिवासी विकास के गहन विमर्श पर उनकी दूरदृष्टि को ठीक से समझ नहीं पायी है,इसलिए आदिवासी विकास अब तक मृग मरीचिका बनी हुई है.अब भी वे कहीं जन समुदाय के बीच रहते हैं तो इन विषयों पर बात करते है,चिंता में रहते हैं कि राज्य में ग़रीबों आदिवासियों के विकास का लक्ष्य राज्य निर्माण के विमर्श के अनुरूप अभी भी अधूरा है,इस पर बहुत काम किया जाना अभी बाक़ी है. जमींदारों,महाजनों,सूदखोरों द्वारा स्थानीय लोगों के विरुद्ध किए जा रहे अनवरत शोषण के विरुद्ध संघर्ष से इस सब की शुरुआत हुई.रा...
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